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Nagaur me ho sakti h sapet chandan ki kheti

Nagaur me ho sakti h sapet chandan ki kheti

नागौर में हो सकती है सफेद चंदन की खेतीः

कृषि विवि के कुलपति बोले- ग्लोबल वार्मिंग का सबसे कारगर उपाय है पौधारोपण

नागौर के अठियासन स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में 7 दिवसीय भेड़ व बकरी पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न हुआ।प्रशिक्षण के अंतिम दिन जोधपुर एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर बीआर चौधरी ने कार्यक्रम में शिरकत की। पशुपालन विभाग संयुक्त निदेशक डॉ. महेश कुमार मीणा भी मौजूद रहे।

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वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसके बैरवा ने बताया कि यह क्षेत्र भेड़ व बकरी पालन के लिए काफी उपयुक्त है। मुख्य अतिथि प्रोफेसर बीआर चौधरी ने कहा कि किसानों व प्रशिक्षणार्थियों मवेशी पालन का समझना होगा। जलवायु परिवर्तन व जल की कमी को देखते हुए कृषि के साथ ही पशुपालन रोजगार का एक प्रमुख साधन है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में सफेद चंदन की खेती की जा सकती है। जलवायु परिवर्तन के कारण बेर की कटाई छंटाई के समय में विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है।

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कार्यक्रम के दौरान युवा पीढ़ी को कृषि विषय में अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। इस अवसर पर प्रोफेसर चौधरी ने प्रतिभागियों के प्रश्नों के उत्तर दिए और पौधारोपण को ग्लोबल वार्मिंग का सबसे कारगर उपाय बताया। कार्यक्रम के दौरान कुलपति ने केंद्र पर खरगोश पालन इकाई की भी शुरुआत की। केंद्र के पशुपालन विशेषज्ञ बुधराम ने प्रशिक्षण कार्यक्रम का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। बागवानी विशेषज्ञ कल्पना चौधरी और गृह विज्ञान विशेषज्ञ भावना शर्मा ने प्रशिक्षणार्थियों को सर्टिफिकेट दिए।

जैसा कि ऊपर बताया गया है नागौर में भी सफेद चंदन की खेती की जा सकती है इसकी जलवायु नागौर की जलवायु सफेद चंदन की खेती के लिए लाभदायक है सफेद चंदन की कृषि करने से किसानों को बहुत बड़ा फायदा होता है क्योंकि सफेद चंदन की बिक्री उसे कीमतों पर होती है

सफेद चंदन की खेती होने से नागौर की आर्थिक व्यवस्था पर विचारों का तथा राजस्थान में भी आठवीं का विस्तरों का इसका पधारोपण जल्द से जल्द किया जाएगा सफेद चंदन के पोते के लिए तो जलवायु तथा मिट्टी की आवश्यकता होती है उसमें रिसर्च में पाया गया कि नागौर की मिट्टी भी उसकी अनुकूल जिससे किसानों को बहुत लाभ होगा

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वैसे भी नागौर को तो मसाले का नगरी कहा जाता है दांत नगरी कहा जाता है नागौर के मैती विश्व प्रसिद्ध है नागौर में पिछले कई दिनों से इस खेती का रिसर्च चल रहा था तब रिसर्च में यह सामने आया नाक और में भी सफेद चंदन खेत की जा सकती है

वैसे तो नागौर में कुछ इलाकों में सूखा पड़ता है तो कुछ इलाकों में जमीन में पानी भी है जहां जमीन पानी है तथा रिसर्च में भी चल पता चला है कि नागौर की जमीन पर बकरी पालन और बहन बनने के लिए उपयुक्त जगह मानी गई है क्योंकि यहां पर अनेक प्रकार की गैस से पाई जाती है तो बकरी पालन और बेड पालन के लिए लाभदायक है जिसे यहां की गांव तथा इलाको रोजी-रोटी का साधन है क्योंकि यहां का मुख्य व्यावसायिक बकरी पालन और बेड पालन है

नागौर के अलावा भी उनके आसपास के इलाकों में जैसे सीकर बीकानेर अजमेर जोधपुर में भी बकरी तथा बेड पालन किया जाता है तथा इसका इन्हीं इलाकों में भी सफेद चंदन की खेती की जा सकती है क्योंकि इनके जलवायु भी नागौर की जलवायु के अनुकूल है

भारत में भी चंदन की खेती बहुत काम की जाती है लेकिन वह जो भी चंदन की खेती की जाती है वह दक्षिण भारत में की जाती है तथा उत्तर पश्चिम भारत में की जाती है जहां बड़े-बड़े जंगल है वैसे देखे जाए तो नागौर में कोई जंगली नहीं है लेकिन इनकी जलवायु इसके अनुकूल है

इसका खुलासा एक बड़ा समारोह किया गया जिसमें बहुत बार कृषि वैज्ञानिक आए थे उसमें इसका पता चला

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